एक तरफ जहा भारत को सोने के चिड़िया कहा जाता है जहा एक तरफ सुख सुविधाओं से संपन्न युवा अपने कीमती समय को आत्मसंतुष्टि में बिता रहे होते हैं ऐसे समय वही कुछ वंचित छात्रों का भी एक समूह है जो अपने दृढ़ संकल्पों के साथ सभी प्रकार की रुढ़ियों को तोड़ते हुए करियर की बुलंदियों को हासिल कर रहे हैं। जीवन में ऐसे ही कुछ सफल सिविल सेवा उम्मीदवारों की जो कि सिविल सेवा अधिकारी किसी रिक्शा चालक के बेटा हो या बेटी हैं या किसी रेहड़ी–पटरी पर सामान बेच कर अपने परिवार का भरण–पोषण करने वाले विक्रेता की संतान हैं।
आज हम आपको बताने जा रहे है संघर्ष की कुछ कहानियां जो संभवतः आपकी सोच की दिशा बदल सकता है।
1. अंसार अहमद शेख – ऑटो चालक का बेटा
अंसार अहमद शेख UPSC सिविल सेवा परीक्षा में सफल होने वाले सबसे युवा उम्मीदवार रहे हैं।
अंसार शेख ऑटो रिक्शा चलाने वाले के बेटे और एक मैकेनिक के भाई हैं। महाराष्ट्र के जालना गांव के गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं। अपनी कमजोर आर्थिक स्थिति के बावजूद अनवर ने शुरुआत से ही पढ़ाई में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और पुणे के प्रतिष्ठित कॉलेज में बी.ए. (राजनीति विज्ञान) में दाखिला लिया। दृढ़ इच्छाशक्ति से प्रेरित अनवर ने यूपीएससी परीक्षाओं की तैयारी के साथ–साथ लगातार तीन वर्षों तक रोजाना 12 घंटों तक काम किया।
इन्होंने धार्मिक भेदभाव समेत सभी प्रकार की बाधाओं पर जीत हासिल की और भारत के सबसे प्रतिष्ठित प्रतियोगी परीक्षा यूपीएससी में सफलता अर्जित की। गरीब रुढ़ीवादी मुस्लिम परिवार के अंसार की उपलब्धि वाकई प्रशंसनीय है। कठिन प्रतियोगिता (कड़ी प्रतिस्पर्धा ) के इस दौर में अपनी पहचान के लिए संघर्ष करने वाले कई गरीब उम्मीदवारों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं अनवर।
2. कुलदीप द्विवेदी IPS– सुरक्षा गार्ड का बेटा
वर्ष 2015 में यूपीएससी द्वारा आयोजित की गई सिविल सेवा परीक्षा में कुलदीप द्विवेदी की अखिल भारतीय रैंक 242 रही।
पिता सूर्यकांत द्विवेदी लखनऊ विश्वविद्यालय में सुरक्षा गार्ड के तौर पर काम करते हैं और पांच लोगों के परिवार का लालन– पालन करते हैं। लेकिन सूर्य कांत की कमजोर आर्थिक स्थिति भी उनके बेटे को भारतीय समाज में सबसे प्रतिष्ठित नौकरी हासिल करने हेतु प्रोत्साहित करने से न रोक सकी। उन्होंने अपने बेटे की महत्वाकांक्षा का सिर्फ नैतिक रूप से बल्कि अपनी क्षमता के अनुसार आर्थिक रूप से भी समर्थन किया। नतीजों के घोषित होने के बाद भी पूरे परिवार के लिए यह विश्वास करना मुश्किल हो रहा था कि उनके सबसे छोटे बेटे ने अपने जीवन की सबसे बड़ी खुशी हासिल कर ली है।
3. श्वेता अग्रवाल– पंसारी की बेटी
पंसारी की बेटी – श्वेता अग्रवाल जिन्होंने 2015 में हुई यूपीएससी की परीक्षा में 19वीं रैंक हासिल कर अपने IAS बनने के सपने को साकार किया
वे बताती हैं कि कैसे गरीबी से लड़ते हुए उनके माता– पिता ने उन्हें अच्छी शिक्षा प्रदान की। श्वेता को अपने माता– पिता पर बेहद गर्व है।
श्वेता ने अपनी स्कूली शिक्षा सेंट जोसेफ कॉन्वेंट बंदेल स्कूल से पूरी की। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद श्वेता ने सेंट जेवियर्स कॉलेज कोलकाता से आर्थशास्त्र में स्नातक किया।
श्वेता ने इससे पहले यूपीएससी परीक्षा दो बार पास की, लेकिन वे आईएएस अधिकारी ही बनना चाहती थी। बंगाल कैडर में शामिल होने पर श्वेता को गर्व है और यह भी सोचती हैं कि ज्यादातर युवा सिविल सेवा से इसलिए दूर रहते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उन्हें जनता की बजाय राजनीतिक आकाओं के मातहत काम करना पड़ेगा।
4. नीरीश राजपूत– दर्जी का बेटा
नीरीश राजपूत के पिता वीरेन्द्र राजपूत एक दर्जी हैं । मध्य प्रदेश के भिंड जिले का एक गरीब युवा हैं,
सिविल सेवा परीक्षा के पिछले तीन प्रयासों में वे विफल रहे थे लेकिन इन्होंने हार नहीं मानी। चौथे प्रयास में वे 370वीं रैंक के साथ पास हुए। वे गोहाड तहसील के मऊ गांव में 300 वर्ग फीट के घर में रहते थे। सिविल सेवक बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने अखबार डालने जैसे कई प्रकार के काम भी किए। उन्हें नहीं पता था कि आईएएस अधिकारी कैसे बना जा सकता है लेकिन वे जानते थे कि देश के शीर्ष परीक्षा में सफल होने के बाद हीं वे अपना भाग्य बदल सकते हैं और उन्हें विश्वास था कि यदि कोई दृढ़ संकल्पी हो और कड़ी मेहनत करने को तैयार हो तो उनकी गरीबी उसकी सफलता की राह में बाधा नहीं हो सकती।
5. ह्रदय कुमार – किसान का बेटा
केंद्रपाड़ा जिले का सूदूर गांव अंगुलाई के बीपीएल धारक किसान के बेटे ह्रदय कुमार ने सिविल सेवा परीक्षा 2014 में 1079वीं रैंक हासिल की थी। वंचित पृष्ठभूमि का होने के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपने लक्ष्य को प्राप्त किया। इनका परिवार सरकार द्वारा चलाई गई सामाजिक कल्याण फ्लैगशिप कार्यक्रम इंदिरा आवास योजना के तहत मिले घर में रहता था।
ह्रदय कुमार ने सरकारी प्राथमिक विद्यालय तथा एवं उच्च विद्यालय से प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा प्राप्त की। 12वीं की परीक्षा इन्होंने द्वितीय श्रेणी में पास की थी लेकिन वे क्रिकेट में अच्छे थे और क्रिकेट में ही करियर बनाना चाहते थे।
6.गोविन्द जायसवाल - रिक्शा चलाने वाले ग़रीब बाप का बेटा बना IAS अफसर।
रिक्शा चलाने वाले एक गरीब परिवार में जन्मे गोविन्द जायसवाल ने अपने पहले प्रयास में ही आईएएस की परीक्षा पास कर ली थी। आज वो एक कामयाब और नामचीन अफसर है।गोविन्द के पिता नारायण जायसवाल बनारस में रिक्शा चलते थे। रिक्शा ही उनकी कमाई का एक मात्र साधन था। रिक्शे के दम पर ही सारा घर-परिवार चलता था। गरीबी ऐसी थी कि परिवार के सारे पाँचों सदस्य बस एक ही कमरे में रहते थे। पहनने के लिए ठीक कपडे भी नहीं थे । गोविन्द की माँ बचपन में गुजर गई थीं। तीन बहनें गोविन्द की देखभाल करती पिता सारा दिन रिक्शा चलाते , फिर भी ज्यादा कुछ कमाई नहीं होती थी। बड़ी मुश्किल से दिन कटते थे। बड़ी-बड़ी मुश्किलें झेलकर पिता ने गोविन्द की पढ़ाई जारी रखी। और फिर IAS अफसर बने